Ravidas Jayanti 2024 : रविदास जी के दोहे भारतीय संत और संतकवि हैं |
जिन्होंने अपनी रचनाओं में समाज में भेदभाव के खिलाफ उचितता, प्रेम, एकता और मानवता के सिद्धांतों को बयान किया। उनके दोहे और उनके अर्थ निम्नलिखित हैं:
दोहा: रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मामु न को अभिमानी॥
अर्थ: रघुपति (भगवान राम) ने हमें बहुत प्रशंसा दी है, पर तुम मामूली लोग इसमें अहंकार न करो।
यह दोहा हमें यह सिखाता है कि गर्व और अहंकार अनुचित हैं।
दोहा: बिन बिम्ब ज्यों त्यों नीरू।
बिन लागे त्यों ही कठिन सीरू॥
अर्थ : जैसे बिना छाया के सूर्य की चमक नहीं होती
वैसे ही बिना गुरु के मार्गदर्शन के जीवन में संघर्ष होता है।
गुरु का मार्गदर्शन हमें जीवन में सही राह दिखाता है।
दोहा: काम क्रोध मद लोभ नंदन।
सब भ्रम प्रबेशि जो पथ नन्दन॥
अर्थ: काम, क्रोध, मद (अहंकार),
लोभ – ये सभी भ्रम हैं, जो हमें गलत राह पर ले जाते हैं।
यह दोहा हमें समझाता है कि इन पाँचों विकारों से बचकर सही राह पर चलना चाहिए।
रैदास जन्म के कारनै होत न कोए नीच।नर कूं नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच॥
अर्थ : जन्म के कारण कोई भी मनुष्य छोटा नहीं होता है।
मनुष्य के तुच्छ कर्मों का पाप ही उसे छोटा बनाता है॥
धन संचय दुख देत है, धन त्यागे सुख होय।
रैदास सीख गुरु देव की, धन मति जोरे कोय॥
अर्थ : धन का सीमा से अधिक संचय दुख देता है।
अधिक धन की कामना त्यागकर ही वास्तविक सुख की प्राप्ति होती है।
अतः सभी गुरुओं की यही शिक्षा है कि कोई भी सीमा से अधिक धन का संचय न करे।
रैदास मदुरा का पीजिए, जो चढ़ै उतराय।
नांव महारस पीजियै, जौ चढ़ै उतराय॥
अर्थ: रैदास कहते हैं कि मदिरा का सेवन करने से क्या
लाभ जिसका नशा चढ़ता है और शीघ्र ही उतर जाता है?
इसकी जगह राम नाम रूपी महारस का पान करो।
इसका नशा यदि एक बार चढ़ जाता है तो फिर कभी नहीं उतरता।
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Ravidas Ke Dohe
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Ravidas Jayanti 2024 |Guru Ravidas ki aarti
गुरु रविदास की आरती
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